दोषारोपण 

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मानव जीनव दिखने में जितना खूबसूरत है,इसमें उससे कहीं ज्यादा ऐब भरे हुए हैं।

हर व्यक्ति किसी न किसी ऐब के साथ जी रहा है।

पर कुछ ऐब तो इतने ईमानदार होतें हैं कि खुद मानव को उम्र भर इसकी भनक तक नही लगती,और वो हर रोज़ इस ऐब को करता रहता है।

ये ऐब होते तो बहुत खतरनाक हैं,पर इनका अस्तित्व नही होता।

ये हवा के जैसे होतें हैं जो सामने वाले को दिखाई कभी नही देती पर जिसके बिना जीनव रुक जाता है ठीक वैसे ही इन ऐबों की वजह से मानव मानव के जीवन मे बहुत प्रभाव डालते हैं।

दोषारोपण नाम तो हर कोई सुना होगा,और इसका सीधा सा मतलब भी है जिसे बताने की जरूरत नही है।

दोषारोपण एक ऐसा ऐब है जो हर इंसान में होता है,चाहे वो गोरी चमड़ी का हो या काली,लम्बे कद का हो या छोटे।

अमीर हो या गरीब।

ये हर किसी में होता है और किसी को कभी भी इसका जरा भी एहसास नही होता।

मेरे अंदर भी है और मुझे ये तब पता चला जब मैं आने एक दूर के रिश्तेदार के यहाँ गया हुआ था।

मेरे रिश्तेदार वैसे बहुत सज्जन इंसान है उनके घर पे हर कोई ऐसे मिलता है मानों वो हमसे वर्षों के बिछड़े हों,प्रेम भाव एकदम आखिरी हद वाला।

और ये बनावटी नही लगता मुझे क्योकिं अपनी अभी तक की उम्र में जितनी बार मैं उनके घर पे गया हूँ,हर बार उनका परिवार वैसे ही मिलता है मुझे जैसे अबकी बार मिला।

पर अबकी बार एक ख़ास चीज मिली उनके यहाँ वो थी दोषारोपण को पहचानने की क्षमता।

मेरे रिश्तेदार की एक बहु है,जिसकी को शादी तीन साल हुए होंगें,और उनकी एक बहुत प्यारी बेटी है,जो मुझे बहुत पसंद है।

अबकी बार जब मैं अपने रिश्तेदार के घर गया तो उनकी बहू की बेटी को बुखार था,साधारण बच्चों को मौसम के बदलाव की वजह से बुखार सर्दी होते ही रहतें हैं।

मैंने जब अपने रिश्तेदार से पूछा कि अब से बीमार है तो मेरे रिश्तेदार बोलते उससे पहले उनकी बहू जो अपनी सास के पास बैठ के कुछ बातें कर रही थी,वो बोल उठी की ये बीमार इस वजह से हुई कि कल इसके चाचा इसे बाहर मोहल्ले में घुमाने ले गयें थें और इसे नज़र लग गयी।

मैं उस वक्त उस बात पे गौर नही किया पर मैं अपने रिश्तेदार के घर जितनी देर रहा उसके बीच उनकी बहू ये बात बहुत बार बोल चुकी थी।

तब जब मैं घर वापस आया और मैंने उसकी बात पे गौर किया तो मुझे पता चला कि उन्हें उनकी बेटी की बीमारी से ज्यादा दुख इस बात का था कि वो घूमने गयी और बीमार पड़ गयी।

वो साफ साफ अपनी बेटी की बीमारी का दोष अपने दूसरे पे मढ़ रही थी।

तभी मुझे लगा कि इंसान दोषारोपण में ज्यादा दिलचस्पी लेता है।

और तब मुझे याद आया कि मैं जब भी मेरे एग्जाम में कम नंबर आते थे तो कैसे सारा दोष कभी बीमारी कभी क्लास के टीचर तो कभी पेपर के सर मढ़ देता था।

बहुत आसान होता है अपने ऊपर का दोष दूसरे के ऊपर मढ़ देना,और इसमें कुछ गलत भी नही है,क्योकिं ये ऐसे दोष होतें हैं जिसे कोई साबित नही कर सकता कि ये आपके अपने हैं।

आप दस लोगों से ये बात कहोगे तो वो भी आपकी हाँ में हाँ ही मिलाएंगे।

क्योकिं ये ऐब बहुत ईमानदार होते हैं,अपने मालिक के प्रति।

पर हर किसी को ऐसे अपने हिस्से का दोष,अपनी गलती को दूसरों के सिर मढ़ने से पहले या बाद में सोचना जरूर चाहिए कि क्या ये आपने सही किया या गलत।

ये ऐब और ऐबों की तुलना में बहुत ईमानदार और छोटा ऐब प्रतीत होता है,पर ये ऐब बहुत खतरनाक है।

इस ऐब के चलते ही रिश्तों में दरार पड़ने लगतें हैं,और लोग खुद को कमजोरी को दूसरों के खिलाफ ढाल बना के उसका फायदा उठाने लगतें हैं।

आपको किसी पे भी दोषारोपण करने से पहले ये सोचना चाहिए कि क्या ये सही है।

और हर छोटी से छोटी बात पे अपनी गलती का दोष दूसरों के सर मढ़ने से बचना चाहिए।

Suraj Sharma

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